आंध्र विशेष दर्जे को वर्तमान ऐजेन्डा से हटाने का कुंटित सोच - रामबाबू

आंध्र विशेष दर्जे को वर्तमान ऐजेन्डा से हटाने का कुंटित सोच - रामबाबू

आंध्र विशेष दर्जे को वर्तमान ऐजेन्डा से हटाने का कुंटित सोच - रामबाबू

आंध्र विशेष दर्जे को वर्तमान ऐजेन्डा से हटाने का कुंटित सोच - रामबाबू

 ( अर्थप्रकाश / बोम्मा रेडड्डी )

अमरावती :: ( आंध्रा ) केंद्र की वर्तमान सरकार द्वारा आंध्र प्रदेश के लिए विशेष के दर्जे को वर्तमान ऐजेन्डा से हटाने पर गम्बीर प्रतिक्रिया देते हुए वाईएसआर पार्टी के विधायक अमबटी रामबाबू जी ने कहा कि भाजपा सांसद जीवीएल नरसिम्हा राव द्वारा निर्णय की घोषणा ने केंद्र की मानसिकता कुन्ठित वा स्वार्थी क्षेत्रीय वादी विकास को अवरोध करते हुए बयान द्वारा दिखाया।

 जीवीएल को इतनी जल्दी क्यों थी और वह इसे हटाने के लिए इतने उत्सुक क्यों थे। 

उन्होंने भाजपा से एजेंडे में बदलाव के पीछे के कारणों का खुलासा करने को कहा और सवाल किया की इस विषय पर नरसिम्हा राव यहां अचानक पहुंच कर जल्दबाजी में एक बयान जारी करने के पीछे  का रहस्य क्या है। उन्होंने कहा कि तेलुगु देशम पार्टी आंध्र प्रदेश के लिए विशेष श्रेणी के दर्जे को एजेंडे में शामिल करने को पचा नहीं पा रही है एजेंडे से विशेष श्रेणी के दर्जे और अन्य महत्वपूर्ण बिंदुओं को हटाने के लिए सरकार पर दबाव भी डाला। 

उन्होंने संदेह व्यक्त किया कि तेलुगु देशम पार्टी सांसदों ने अपने पार्टी प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू के आदेश पर एजेंडे में बदलाव के लिए काम किया। उन्होंने कहा की क्या गृह मंत्रालय को समिति के गठन और उसके एजेंडे के बारे में पता नहीं है। क्या यह नहीं जानता कि उसकी शक्तियां क्या हैं।अमबटी रामबाबू ने पूछा की हालांकि विशेष दर्जा एवं तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के अधिकारों के बीच संसाधन अंतर वार्ता का हिस्सा नहीं रहा तो तीन सदस्यीय समिति इस मुद्दे पर सीधे आंध्र प्रदेश के अधिकारियों के साथ चर्चा क्यों नहीं किया और इसे क्यों रोका जा रहा है।

पूरे घटनाक्रम को देखते हुए वाईएसआरसीपी विधायक अमबटी रामबाबू ने कहा कि जहां गृह मंत्रालय के तहत एक संयुक्त सचिव की अध्यक्षता वाली समिति को जैसे कि पता ही नहीं कि उनके दायरे में क्या आता है और बीजेपी सांसद एजेंडे के बारे में सार्वजनिक बयान देने के बावजूद तेलुगु देशम पार्टी के प्रमुख की चुप्पी को लेकर राज्य के लोगों को घटनाओं के इस मोड़ पर आत्मनिरीक्षण करना चाहिए।

 अमबटी रामबाबू ने आरोप लगाया कि चंद्रबाबू की भूमिका पर चर्चा करने की आवश्यकता है जो शकुनि की तरह हैं उनके लोग और जीवीएल के बयान जो उनके दायरे से बाहर हैं।